Monika garg

Add To collaction

लेखनी प्रतियोगिता -21-Mar-2022# सेरोगेसी

मन कब बावरा नही होता वो दूसरों मे भी अपनी खुशी ढूंढ ही लेता है जिसकी मिसाल ये कहानी है।


उसे याद है वह अपने नानी के घर जाती थी तो बहुत खुश होती थी ।क्योकि वहाँ  जाकर उसे अपनी सहेली शालु से जो मिलना होता था।शालु  नानी के घर  से एक घर छोड़  कर रहती थी । शालु के घर मे उस की माँ-पापा और एक सौतेली  बहन थी। उसे याद है  जैसे हीवह नानी के घर पहुँचती थी। शालु के घर भागने की जल्दी  रहती थी।नानी पीछे से आवाज़  देती रह जाती पर उसे तो अपनी सहेली से मिलना होता  था नानी की आवाज़ सुनाई ही नही देती थी।सांस शालु के घर जाकर ही लेती थी।उस की माँ भी पूछती,"मनु घर बता कर आयी हो या ऐसे ही दौड़ आयी।"मनु हां मे सिर हिला देती।पता नही क्यू उसे  शालु की माँ  से डर लगता था ।मनु का मन कहता था कि वह महिला कर्कश थी।शालु की सौतेली बहन के साथ उस की माँ का बरताव सही नही था।उसे याद था शालु की बहन जिस का नाम रमा था उसे इस नाम से केवल शालु के पापा ही बुलाते थे।सौतेली माँ तो उसे कामचोर कहती थी।सारा दिन बेचारी घर का काम करती थी।जरा सी गलती होने पर सौतेली माँ ऐसे लातो से मारती थी।कभी-कभी तो मनु की आखों में पानी भर आता था। 
      एक दिन उसे याद है वह दोपहर  में शालु के घर खेलने चली गयी मनु ने देखा रमा जेठ की दोपहरी में कमरे के बाहर खडी थी उस ने पूछा ,"दीदी आप इतनी गर्मी में धूप मे क्यू खडी हो।"वो एक दम से डर गयी।उसने मुँह पर अंगुली  रख कर चुप होने को कहा और मनु को अंदर जाने का इशारा किया।वह अन्दर गयी तो उसने देखा शालु की माँ शालु को अपने हाथ से खाना खिला रही थी वह बार-बार मना कर रही थी,"बस माँ पेट भर गया। "लेकिन वो धक्के से खिलाये जा रही थी।बस एक कोर और।तभी मनु ने अंदर आकर कहा,"आंटी ये दीदी बाहर क्यो खड़ी है ।"तभी शालु की माँ हाथ नचा कर बोली,"मनु तुम्हे नही पता ये कितनी कामचोर है
मेरी लाडो खाना खा रही थी मेरे हाथों से  इस से देखा नही गया।मैनें इस कामचोर से यही तो कहा था कि एक गिलास पानी दे दे ।परन्तु साली ने मटका ही नीचे  गिरा दिया ।अब धूप  में खड़ी रहेँ गी तभी  अक्ल ठिकाने आये गी।"मनु  और  शालु जब खेलने लगे तो उसने पूछा कि शालु क्या  सही मे रमा दीदी ने जानबूझ कर मटका गिराया  था  तो शालु बोली ,"नही रे!माँ की तो आदत है रमा दीदी को डांटने की ।वो मेरे गले मे रोटी का टुकड़ा फस गया था।दीदी को लगा कही मै उल्टी ना कर दूँ तब ही भाग कर मटके के पास गयी जल्दबाजी में  हाथ लग कर मटका गिर गया।माँ को बहाना  मिल गया सजा देने का।" मन बावरा होता है दूसरों के दुख मे अपनी कल्पना करके रोने लगता है । मनु दौड़ कर अपनी माँ के पास आयी और लिपटकर, जोर जोर से रोने लगी ,माँ आप मत मरना।बस यही दोहराती रही और रोती रही उस की माँ ने बड़ी मुश्किल से चुप कराया था मनु को।
                         साल दर  साल बीतते गए ।मनु की  शादी हो गयी।उधर शालु की भी शादी हो गयी।पर  शादी के बाद भी दोनों  सहेलियां फोन पर बात करती रहती थी।मनु अपनी गृहस्थी में रम गयी।हां  मनु को ये पता था कि शालु को इतने सालों बाद भी कोई  बच्चा नही था।बेचारी हर बार  मनु के आगे रोती कि मै क्या करूँ ।

                      एक दिन पता चला कि शालु में  ही कोई कमी है जो वह बच्चा पैदा नही कर सकती ।साल भर बाद  शालु का फोन आया कि उस के पति ने  सेरोगेसी से एक बच्ची  पैदा की है। शालु  खुशी के सातवें आसमान पर थी।और बच्ची के जन्म के उत्सव पर उसे बुलाया था।मनु भी अपनी प्यारी सहेली की बेटी के लिए सामान  खिलौने इकट्ठा कर रही थी और सोच रही थी कि ज़माना कितना बदल गया है ।एक समय शालु की माँ थी जो अपने पति की पहली पत्नी की संतान को कभी भी स्वीकार नहीं कर पाई।उसका बुरा हाल करके रखा।और एक आज का जमाना है जो सेरोगेसी के नाम पर पति की दुसरी औरत से संतान को खुशी-खुशी पालती है। वाह रे  बावरे मन  ................

   16
21 Comments

बहुत खूब कहानी

Reply

Sunanda Aswal

22-Mar-2022 09:41 PM

Beautiful 💗

Reply

Monika garg

22-Mar-2022 09:44 PM

धन्यवाद

Reply

Punam verma

22-Mar-2022 09:24 PM

Very nice

Reply

Monika garg

22-Mar-2022 09:43 PM

धन्यवाद

Reply